चाहे जो हो, चिट्ठा लेखन सोद्देश्य होता है. अब वह भले ही आमतौर पर स्वांतः सुखाय, छपास की पीड़ा के मारे हुओं का, मन की भड़ास निकालने क...
चाहे जो हो, चिट्ठा लेखन सोद्देश्य होता है. अब वह भले ही आमतौर पर स्वांतः सुखाय, छपास की पीड़ा के मारे हुओं का, मन की भड़ास निकालने का यह मात्र एक साधन ही क्यों न हो.
और, यदि इसमें कुछ व्यावसायिक संभावनाएँ जोड़ दी जाएँ तब? सोने में सुहागा.
अंग्रेज़ी के कई चिट्ठाकार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यावसायिक रूप से बेहद सफल हुए हैं, और उनमें से एक तो भारतीय, अमित अग्रवाल हैं. उन्हें उनकी चिट्ठाकारी के दम पर ही माइक्रोसॉफ़्ट मोस्ट वेल्यूएबल प्रोफ़ेशनल का सम्मान मिला है. वे प्रतिदिन 10-12 घंटे चिट्ठाकारी में बिताते हैं और प्रतिदिन 5-6 चिट्ठा-पोस्ट लिखते हैं, वह भी सारगर्भित और उम्दा सामग्री युक्त. उनके चिट्ठे के छः हजार से ऊपर नियमित पाठक हैं जो आरएसएस फ़ीड के जरिए सब्सक्राइब कर पढ़ते हैं तथा उनका पेज हिट्स महीने में दस लाख से ऊपर होता है - जिनमें अधिकतर गूगल सर्च के जरिए आते हैं.
क्या हिन्दी चिट्ठाकारी में ऐसी सफलता की संभावना है?
हाँ, बिलकुल है. परंतु जरा ठहरिये, अभी नहीं. निकट भविष्य में तो नहीं. शायद 2015 तक हिन्दी चिट्ठा जगत से सफलता की ऐसी इक्का-दुक्का कहानियाँ पढ़ने-सुनने को मिलने लगें.
हिन्दी चिट्ठाकारी में व्यावसायिक संभावनाओं को तलाशने की जोरदार शुरूआत मैंने जुलाई 06 में की थी. परंतु मामला उत्साहजनक नहीं रहा. परंतु फिर लगता है कि मामला उतना अंधकारमय भी नहीं है.
एक नज़र मेरे पिछले माह के एडसेंस चैनलों के पेजहिट्स पर डालिए -
इसमें सबसे ऊपर का, सर्वाधिक हिट्स प्राप्त मेरा अंग्रेजी का चिट्ठा टेक-ट्रबल है. दूसरे नंबर पर मेरा हिन्दी चिट्ठा है. तीसरे और चौथे क्रमांक पर गूगल पेजेस हैं तथा पांचवे स्थान पर रचनाकार है. मुझे औसतन जो आय होती है (सही आंकड़े मैं सार्वजनिक नहीं कर सकता चूंकि इससे गूगल एडसेंस की सेवा शर्तों का उल्लंघन होता है) उसमें से अस्सी प्रतिशत तो अंग्रेज़ी चिट्ठे से आता है, जो कि जाहिर है अधिक पेज हिट्स व अधिक क्लिक-थ्रो के कारण मिलता है. बाकी के बीस प्रतिशत में से में से करीब अठारह प्रतिशत मेरे हिन्दी चिट्ठे से आता है. आप देखेंगे कि पेज हिट्स में बहुत कम होने के बावजूद (यूनिकोड हिन्दी के पाठक अभी बेहद कम ही हैं - प्रभासाक्षी के यूनिकोड जांच संस्करण से भी यह बात साबित हुई है - पाठक पुराने फ़ान्ट युक्त पृष्ठों को ही पढ़ते हैं) हिन्दी चिट्ठे से आय का प्रतिशत तुलनात्मक दृष्टि से अंग्रेज़ी से ज्यादा है - यानी अगर इतने ही हिट्स मेरे हिन्दी चिट्ठे को मिलें, तो भूगोल बदल सकता है.
इसका अर्थ क्या हुआ? इसका अर्थ हुआ - इट इज जस्ट ए मैटर ऑफ टाइम. यह सिर्फ समय की बात है दोस्तों - हिन्दी चिट्ठाकारी भी व्यावसायिक रूप से सफलता के झंडे गाड़ने के लिए तत्पर और तैयार है.
गूगल एडसेंस ने भारतीय भाषाओं में पैठ बनाने के लिए कमर कस ली है. कुछ समय से यदा कदा इक्का दुक्का हिन्दी के एडसेंस विज्ञापन दिखाई दे जाते थे - वे सब जाँच विज्ञापन थे. कुछ समय से इनमें बढ़ोत्तरी हुई है, और क्या संयोग है - आज का गूगल एडसेंस हिन्दी विज्ञापनों से अटा पडा है -
इसका अर्थ क्या हुआ? इसका अर्थ हुआ कि अब हिन्दी में भी विषय-संदर्भित विज्ञापनों की भरमार होगी और जाहिर है, आपके चिट्ठे का क्लिक थ्रो रेट ज्यादा होगा.
तो आप तैयार हैं? बेहतर यही होगा कि आप तैयार रहें.
मुझसे कई अवसरों पर हिन्दी चिट्ठाकारिता की व्यावसायिकता के बारे में सवाल जवाब किए जाते रहे हैं. कुछ ऐसे ही बारंबार पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर ईमानदारी से देने की मेरी कोशिश है:
प्रश्न - क्या हिन्दी में व्यावसायिक चिट्ठाकारी संभव है?
उत्तर - बिलकुल संभव है. बस थोड़े से समय का फेर है. तीन साल पहले तो हिन्दी भाषा में ही चिट्ठाकारी संभव नहीं थी! वैसे भी, एक अध्ययन के अनुसार, कुछेक खास बेहद सफल चिट्ठों को छोड़ दें तो अधिकांश अंग्रेज़ी चिट्ठे बमुश्किल 100 डॉलर प्रतिमाह आय अर्जित कर पाते हैं.
प्रश्न - मुझे अपने चिट्ठे में एडसेंस विज्ञापन लगाने चाहिए या नहीं?
उत्तर - यह व्यक्तिगत पसंद पर निर्भर है. यदि आप किसी भी तरह की अतिरिक्त आय अर्जित करना चाहते हैं तो एडसेंस एक बेहतर विकल्प है. एडसेंस विज्ञापन पूरी तरह जाँच परख कर गूगल द्वारा लिए जाते हैं जिसमें किसी आपत्तिजनक साइटों के लिंक कभी भी नहीं होते. इनकी सारी प्रक्रिया विश्वसनीय व पारदर्शी होती है. वैसे दूसरे विकल्प - जैसे कि चिटिका इत्यादि भी हैं, परंतु उनके बारे में मुझे कोई विशेष जानकारी नहीं है.
प्रश्न - मुझे अपने चिट्ठे में एडसेंस विज्ञापन कब लगाना चाहिए - प्रारंभ से या बाद में चिट्ठे के लोकप्रिय होने के बाद?
उत्तर - विज्ञापन कभी भी लगा सकते हैं परंतु प्रारंभ से लगा रहेगा तो आपके पाठकों को झटका नहीं लगेगा :)
प्रश्न - हिन्दी चिट्ठे से अभी विज्ञापनों के जरिए कितनी आय हो रही है व कितनी संभावित है?
उत्तर - अभी तो नगण्य आय हो रही है व निकट भविष्य में भी नगण्य ही रहेगी, परंतु भविष्य उज्जवल है. बोलने-बताने-लायक आय कुछ चिट्ठों को वर्ष 2008 के दौरान होने लगेगी.
प्रश्न - एडसेंस मेरे हिन्दी चिट्ठे को अस्वीकृत कर देता है मैं क्या करूं?
उत्तर - इंतजार कीजिए. हिन्दी समर्थन आने ही वाला है. ऊपर का चित्र फिर से देख कर तसल्ली करें.
प्रश्न - एडसेंस कितना लगाएँ ? क्या चिट्ठे को विज्ञापनों से भर दें?
उत्तर - यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता का प्रश्न है. अमित के चिट्ठे में आमतौर पर एक पृष्ठ में सात बड़े विज्ञापन रहते हैं. विज्ञापनों से पाठक भले ही प्रकट में नाराज हों, गरियाएँ-भपकाएं, परंतु यकीन मानिए, यदि आपका लिखा सारगर्भित है, उसमें तत्व है, पठनीयता है, सामग्री है, तो वे आपको कोसते हुए ही सही, पढ़ेंगे जरूर और हो सकता है कि यदा-कदा आपको उपकृत करते हुए कोई विज्ञापन क्लिक भी कर दें. परंतु आप ऐसा कतई न करें कि अपने मित्रों को अपने चिट्ठे के विज्ञापनों को क्लिक करने बैठा दें. यह क्लिक फ्रॉड कहलाता है और आपकी साइट ब्लैकलिस्ट करार दी जाकर आपका गूगल एडसेंस खाता बंद किया सकता है.
प्रश्न - वर्डप्रेस पर विज्ञापन नहीं लग सकते, मैं क्या करूं?
उत्तर - अगर आप मुफ़्त वर्डप्रेस का प्लटैफ़ॉर्म नहीं छोड़ना चाहते तो अपना स्वयं का डोमेन ले सकते हैं जिसमें आप अपना वर्डप्रेस संस्करण लगा सकते हैं, या फिर वर्डप्रेस का प्रीमियम संस्करण वांछित राशि भुगतान कर ले सकते हैं जिसमें आपको यह अतिरिक्त सुविधा मिल सकती है. अन्यथा ब्लॉगर का विकल्प नहीं.
प्रश्न - मेरे चिट्ठे को नित्य कम से कम कितने लोग पढ़ेंगे तब आय होगी?
उत्तर - एडसेंस दो तरह से भुगतान करता है - प्रतिहजार पेज लोड तथा प्रति क्लिक. यदि मात्र दस लोग भी आपके चिट्ठे को पढ़ते हैं और दसों उच्च भुगतान वाले विज्ञापनों को क्लिक करते हैं तो आपको हो सकता है दस डॉलर मिल जाएँ, और, यह भी हो सकता है कि हजार लोग पढ़ें और कोई क्लिक न करे तो एक भी डालर न मिले. परंतु औसतन यह बात भी सत्य है कि जितना अधिक आपका चिट्ठा पढ़ा जाएगा उतना ही पेज लोड व पेज क्लिक के जरिए अधिक आय होने की संभावना होगी. नित्य कम से कम एक हजार पेज लोड होने पर कुछ बोलने-बताने-लायक आय हो सकेगी. और, जब आपके चिट्ठे को एक लाख लोग प्रतिदिन पढ़ने लगेंगे तो आप यकीन मानिए, अमित अग्रवाल से बाजी मार ले जाएंगे.
प्रश्न - आपके मन में उभर रहे प्रश्न यदि कोई हों?
Tag व्यावसायिक,चिट्ठाकारी,गूगल,एडसेंस
पेले रहो।
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी जानकारी, आपने सीधे सादे शब्दों में बहुत कुछ बिना लाग लपेट के बता दिया।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
रवि भाई, बस कमाल का जादू है आपके लेखन में। हेलथसिप
जवाब देंहटाएंशुक्रिया।। और शुक्र है आपने ऑंय तॉंय न कर सब साफ साफ बता दिया मेरे अधिकॉंश सवाल संबोधित हो गए हैं।
जवाब देंहटाएंकाफी जिज्ञासाओं को शान्त करता, एक ज्ञानवर्धक लेख। मेरे विचार से इस लेख का लिंक हर जगह होना चाहिए।
जवाब देंहटाएंएक अच्छे लेख के लिए साधुवाद स्वीकारें।
आपने विज्ञापनों से संबंधित पूरी बात बता दी। धन्यवाद । एडसेंस से संबंधित कुछ टिप्स भी दें।
जवाब देंहटाएंपाठकों की संख्या ज्यादा होने पर ही कुछ आय हिंदी चिठ्ठाकारों की हो सकती है। पर अंग्रेजी चिठ्ठों और साइटों पर लोग गूगल सर्च से पहुंचते हैं जो कि हिंदी में अभी नगण्य है।
मनीषा
बढ़िया जानकारी!
जवाब देंहटाएंआयेंगे आयेंगे, पर कुछ समय है
जवाब देंहटाएंबहुत से प्रश्नों का उत्तर मिल गया।
जवाब देंहटाएंबढ़िया लेख !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सटीक लेख और जानकारी पूर्ण लेख, सभी संशय दूर कर दिए आपने।
जवाब देंहटाएंमैं आपसे सहमत हूँ कि भविष्य हिन्दी चिट्ठाकारी का है। अभी भले ही अल्प लाभ हो पर एक दिन नजारा जरुर बदलेगा।
"प्रश्न - मुझे अपने चिट्ठे में एडसेंस विज्ञापन कब लगाना चाहिए - प्रारंभ से या बाद में चिट्ठे के लोकप्रिय होने के बाद?
उत्तर - विज्ञापन कभी भी लगा सकते हैं परंतु प्रारंभ से लगा रहेगा तो आपके पाठकों को झटका नहीं लगेगा :)"
वैसे इस बारे में अमित अग्रवाल और कुछ अन्य ब्लॉगरों का मत है कि नए चिट्ठाकार को शुरु में विज्ञापन नहीं लगाने चाहिए, एक बार अपना विशिष्ट पाठकवर्ग तैयार होने पर ही ऐसा करना चाहिए।
कृपया एक बात और बताएं क्या एडसेंस के लिए Paypal अकाऊंट आवश्यक है ? Paypal अकाऊंट के बारे में भी कृपया जानकारी दें।
पिछले कुछ दिनों से जारी इस चर्चा पर अपने विचार प्रकट से पहले मैं आपकी इस पोस्ट का ही इन्तजार कर रहा था। आज सुबह यह पोस्ट पढ़ने के उपरांत अपनी पोस्ट लिखी तथा फिर यहाँ टिप्पणी करने आया।
इस विषय पर मेरी पोस्ट यहाँ पढ़ें तथा राय दें।
हिन्दी में व्यावसायिक चिट्ठाकारी का वर्तमान और भविष्य
एडसेंस के लिए पपैल का अकाउंट कतई आवश्यक नहीं है. आपको आपके भारतीय पते पर सिटी बैंक का चेक भारतीय मुद्रा में बाकायदा पहुँचा दिया जाता है जिसे आप किसी भी भारतीय बैंक खाते में भुना सकते हैं.
जवाब देंहटाएंउत्साह आया सब जान सुन कर. वरना मन बैठा जा रहा था कि कभी कमा भी पायेंगे या नहीं.
जवाब देंहटाएंइस प्रस्तुति के लिये धन्यवाद, काफी ज्ञानवर्धक है, आपका हिन्दी प्रेम देख कर बहुत प्रसन्नता हुई
जवाब देंहटाएंकृप्या http://dilkadarpan.blogspot.com पर पधार कर अपनी उपस्थिति दर्ज करें
धन्यवाद
Dear Ravi Ji
जवाब देंहटाएंThis info was very useful. My blog is http://ankurblogs.blogspot.com
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जवाब देंहटाएंमैने भी Adsense पर registration करवाया, लेकिन उन्होंने मेरे पेज को खारिज कर दिया, ऐसा क्यों ? उनके message मे लिखा था कि उन्हें कोई language की समस्या है... पता नहीं क्या चक्कर है ? जबकि रवि जी के पेज का हैडर भी हिन्दी में ही है..रवि जी से एक सवाल है कि, क्या गूगल एड्सेंस में कोड हासिल करने के लिये अंटी से पैसा खर्चा करना पडता है ?
जवाब देंहटाएंसुरेश जी,
जवाब देंहटाएंअंटी से पैसा तो नहीं खर्च करना पड़ता, परंतु अभी उन्होंने शुद्ध हिन्दी सामग्री वाले पन्नों पर पता नहीं क्यों बंदिश लगाई हुई है - एक दो और मित्रों ने भी यही बताया है. मेरा एडसेंस खाता तो चार साल पुराना है, तब हिन्दी चालू हुई ही थी, और उस समय ऐसा प्रतिबन्ध नहीं लगाया गया था - हालांकि उनके लाइसेंस शर्तों में हिन्दी का उल्लेख उस समय भी नहीं था.
फिर भी, थोड़ा सब्र करें. हिन्दी के विज्ञापन जाँच स्तर पर आ ही रहे हैं - तो हिन्दी एडसेंस भी धूम धड़ाके के साथ आएगा. कुछ समय की ही बात है.
ravi ji
जवाब देंहटाएंkya tippani karu. bus aap likhte rahe.
हार्दिक धन्यवाद.
बहुत ही सटीक लेख और जानकारी पूर्ण लेख
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