मार्च 2006 में छींटें और बौछारें में प्रकाशित रचनाएँ....

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कुछेक बड़े शहरों को छोड़कर, जहाँ चंद एफ़एम चैनल धड़ल्ले से चल रहे थे, बाकी के भारत भर में, रेडियो मृतप्रायः सा हो रहा था. पर, अब लगता है रेड...

कुछेक बड़े शहरों को छोड़कर, जहाँ चंद एफ़एम चैनल धड़ल्ले से चल रहे थे, बाकी के भारत भर में, रेडियो मृतप्रायः सा हो रहा था. पर, अब लगता है रेडियो अपने धमाकेदार वापसी की ओर अग्रसर है. सरकार ने अभी-अभी ही बड़े शहरों के साथ-साथ छोटे और मझोले शहरों के लिए कई-कई एफ़एम चैनलों की फ्रिक्वेंसी नीलाम की है. ऐसे शहरों के रेडियो सुनने वालों के भाग्य खुलेंगे और रेडियो वापस लौटेगा – अपने सुनहरे पुराने दिनों की ओर. मगर, सरकारी नीति तो कानी ही होती है! तमाम निजी क्षेत्र के - डीटीएच और टीवी चैनलों से तो आप समाचार देख-सुन सकते हैं, मोबाइल फ़ोनों के जरिए दूर-दराज़ क्षेत्र में एसएमएस और एमएमएस-क्लिपों के जरिए तथा कुछ मामलों में जीवंत चैनलों के जरिए समाचार देख-पढ़-सुन सकते हैं, मगर रेडियो पर निजी क्षेत्र के समाचार प्रसारणों पर बंदिशें लगी रहेंगी! है न क्लासिक कानापन! अगर एफ़एम पर निजी समाचार चैनलों को भी अनुमति दी जाती तो रेडियो की लोकप्रियता में कल्पनातीत तेजी आ सकती थी. जो भी हो, कम से कम अब करोड़ों को एफ़एम रेडियो के जरिए संगीत सुनने का आनंद तो आएगा ही.

इसके बावजूद, मेरे जैसे, भारत के अधिसंख्य अभिशप्त लोगों को - जो छुद्र-से शहरों और गांवों में रहते हैं, एफ़एम रेडियो के जरिए संगीत का आनंद लेना अब भी संभव नहीं होगा. ऐसी जगहों के लिए न सरकार ने लाइसेंस बांटे हैं, न निजी क्षेत्रों ने खरीदे हैं, न आगे सरकार की कोई योजना भी दिखाई देती है. छोटी जगहों पर व्यवसायिक रुप से ये सफल भी नहीं हो सकेंगे. यूँ तो डीटीएच के जरिए कोई दर्जन भर एफ़एम प्रसारण प्राप्त किया जा सकता है, पर, वह कोई विकल्प नहीं है.

परंतु तकनॉलाज़ी के इस सुहाने दौर में विकल्पों की कमी कतई नहीं है.

क्या आपको पता है? रेडियो का एक बढ़िया विकल्प हमारे लिए पहले से ही मौजूद है – वर्डस्पेस सेटेलाइट रेडियो.

एक नए क़िस्म के रेडियो, वर्डस्पेस रेडियो के जरिए बड़े शहरों से लेकर, घनघोर जंगलों में भी आप सीडी क्वालिटी के संगीत का आनंद से ले सकते हैं, और समाचार भी सुन सकते हैं!

आइए, देखते हैं कि वर्डस्पेस रेडियो है क्या, और क्या इसको सुनने में सचमुच कुछ मज़ा भी है?

वर्डस्पेस रेडियो प्रसारण को विशेष रुप से तैयार किए गए वर्डस्पेस रेडियो के जरिए सुना जा सकता है. इस रेडियो का प्रसारण एनक्रिप्टेड होता है, जिसे मासिक सदस्यता राशि का भुगतान प्राप्त कर पासवर्ड डाल कर सुना जा सकता है. भारत में सिल्वर सदस्यता की राशि है – 150 रुपए प्रतिमाह. इसमें आपको रेडियो के चालीस चैनल सुनने को मिलते हैं जिसमें हिन्दी के पुराने तथा नए गानों के दो चैनलों के साथ-साथ तमिल, तेलुगु, पंजाबी, बंगाली, मलयालम, कन्नड़ चैनल तो हैं ही, हिन्दुस्तानी तथा शास्त्रीय संगीत के दो अलग चैनल भी हैं. अंग्रेजी के तो ढेरों चैनल हैं जिसमें तमाम पॉप, रॉक और कंट्री गाने चौबीसों घंटे बजते रहते हैं. हॉर्मनी चैनल में आप मोजार्त्ज को भी सुन सकते हैं और जुबीन मेहता को भी. धार्मिक लोगों के लिए सत्य साईं तथा आर्ट ऑफ लिविंग के दो डेडिकेटेड चैनल हैं. मोक्ष नाम का चैनल भी है जहाँ आपको हिप्नोटिक ट्रांस में ले जा सकने वाला संगीत बजता रहता है. समाचारों के लिए, बीबीसी एशिया, सीएनएन तथा एनडीटीवी अंग्रेजी और हिन्दी के चैनल भी इसमें बजते रहते हैं. 150 रुपए प्रतिमाह में इतना सबकुछ सुनने का विकल्प मिलना कोई मंहगा नहीं है, खासकर तब, जब संगीत अपनी पूरी गुणवत्ता के साथ – सीडी क्वालिटी का, स्टीरियोफ़ोनिक रुप में बज सकता हो – आपके बियाबान जंगल में बने घर में भी – जहाँ न बिजली की सुविधा है और न जहाँ किसी अन्य रेडियो प्रसारण की - और आपके महानगर के किसी फ़्लेट के किसी अलहदा कमरे में भी.

यूँ तो वर्डस्पेस रेडियो भारत सहित विश्व के अन्य सैकड़ों देशों (अफ्रीकी एवं एशियाई) में पिछले कई वर्षों से जियोस्टेशनरी सेटेलाइट के जरिए डिजिटल तकनीक का रेडियो प्रसारण कर रहा है, परंतु विपणन कमियों के चलते यह भारत में उतना लोकप्रिय नहीं हो पाया था. वर्डस्पेस रेडियो अभी भी भारत के छोटे शहरों में न सिर्फ अनुपलब्ध है, बल्कि इस तकनॉलाजी के बारे में वे अज्ञानी ही हैं. अब कंपनी अपने प्रचार-प्रसार में ध्यान दे रही है तो लोगों में इसके प्रति रुचि पैदा होने लगी है.

वर्डस्पेस रेडियो के साथ एक एंटीना तथा एक रिमोट कंट्रोलर भी आता है. बेसिक एंटीना जो बहुत छोटा सा, चार इंच का होता है उसे सेटेलाइट के लाइन-ऑफ-साइट में रखना आवश्यक होता है. इस कारण यह सेमीपोर्टेबल किस्म का ही होता है. वर्डस्पेस रेडियो के दिवा मॉडल के साथ दिया गया रिमोट कंट्रोलर जरा अजीब किस्म का है. इसके जरिए 22 नंबर के पासवर्ड को रेडियो में दर्ज करने के लिए 44 बार कुंजियाँ दबानी पड़ती हैं, तथा इसके प्रीसेट 40 चैनलों में से किसी खास चैनल को लगाने के लिए भी अव्यावहारिक तरीके से कुंजियाँ कई दफ़ा दबानी पड़ती है. रेडियो कभी कभी एक-दो सेकण्ड के लिए बीच-बीच में अचानक शान्त भी हो जाता है – पर यह कोई खास परेशानी पैदा नहीं करता. इसमें अंतर्निर्मित स्पीकर भी नहीं है – आपको अलग से एम्प्लीफ़ायर युक्त स्पीकर सिस्टम से इसे जोड़ना होगा. परंतु अगर आप बढ़िया हाई-फ़ाई एम्प्लीस्पीकर सिस्टम से इसे जोड़ते हैं, तो आपको संगीत की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं आती. संगीत के चैनल चौबीसों घंटे बजते रहते हैं तथा विज्ञापन अत्यंत कम हैं – या नहीं ही हैं, जिससे संगीत के आनंद में खलल नहीं पड़ती.

रेडियो में दिए डाटा टर्मिनल से आप इस रिसीवर को अपने कंप्यूटर से भी जोड़ सकते हैं. इसके ऑडियो आउट को अपने म्यूजिक सिस्टम में जोड़कर धुआँधार संगीत बजा सकते हैं तो अपने कम्प्यूटर के साउंडकार्ड के लाइन इन में जोड़कर आउडासिटी या जेटआडियो द्वारा एमपी3 संगीत में रेडियो के बज रहे चैनल को रेकॉर्ड भी कर सकते हैं. और, इस तरह के रेकॉर्डेड संगीत भी पूरी गुणवत्ता के साथ भरपूर आनंद प्रदान करते हैं.

सहगल से लेकर सावंत (अभिजीत) और ब्रिटनी (स्पीयर्स) से लेकर बीबीसी तक सारा कुछ अपने रेडियो पर सुनना – सचमुच आनंददायी अनुभव होता है – वर्डस्पेस रेडियो की एक झलक आप अपने कम्प्यूटर के जरिए यहाँ से लें. ***-***

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क्या आपको कोई समस्या है? कोई भी समस्या, कैसी भी समस्या. हर समस्या का इलाज मेरे पास है. विश्वास नहीं होता? जरा नीचे दिए गए विज्ञापन पर नज़र डालिए, जो आज के अख़बार के साथ इंसर्शन के रुप में सुबह-सुबह आया है.

अब तो विश्वास हो गया ना. तो फिर, आप भी आमंत्रित हैं. अपनी समस्या को लेकर आइए और हम आपकी समस्या का समाधान, इलाज, रास्ते सब कुछ बताएंगे!

इस विज्ञापन को देखते ही मुझे बीसेक साल पुरानी घटना याद आ गई. तब मैं अम्बिकापुर मीटिंग के सिलसिले में गया था, और एक होटल में रुका हुआ था.

उसी होटल में, जैसा कि इस विज्ञापन में वर्णित है, एक ऐसा ही जादूगर भविष्य वक्ता ठहरा हुआ था, जो तीन सवालों के जवाब सौ रुपए में तब देता था, जब बहुत से सीनियर ऑफ़ीसरों की तनख़्वाह तीन अंकों से ज्यादा नहीं पहुँच पाती थी. उसके पास भी लोग अपनी समस्याओं को लेकर आते जाते रहते थे, और वह तांत्रिक भी इसी तरह अपनी शक्तियों का विज्ञापन अखबारों, पैम्प्लेट और दीवार पर इश्तहारों से करता रहता था.

दिन भर की बोझिल मीटिंग के बाद रात को मैं होटल आया तो करने को कुछ नहीं था, इसीलिए रिसेप्शन पर बासी अख़बारों के पन्ने चाटने लगा था. वहां कई लोग और बैठे थे. बातों बातों में पता चला कि उनमें से कुछ लोग उस तांत्रिक से अपनी समस्या का समाधान लेने आए हैं. और, उनमें से कुछ प्रतिष्ठित, जाने-माने लोग भी थे.

मुझे कौतुहूल हुआ. मैंने इस तांत्रिक की सत्यता परखनी चाही. मैंने भी अपना नाम समस्या का हल चाहने वालों की कतार में दर्ज करा दिया. कोई घंटे भर बाद तांत्रिक का बुलावा मेरे लिए आया.

अंदर बहुत सारी मोटी मोटी पुस्तकें रखी हुई थीं. तांत्रिक ने अपने विज्ञापन में मां काली का महा भक्त होने के साथ साथ जर्मनी से ज्योतिष शास्त्र में पीएच.डी. डिग्री, वह भी स्वर्णपदक प्राप्त होने का हवाला दिया हुआ था. सो जाहिर था कि वह अपने आप को आम पोंगा पंडित कहलवाना पसंद नहीं करता था और पीएच.डी. की डिग्री का मान रखने के लिए ढेरों किताबें भी साथ ले के चलता था. वह व्यक्ति के मस्तिष्क को देखकर भविष्य बताता था, और समस्याओं का शर्तिया हल भी बताता था.

उसने मुझसे कोई तीन प्रश्न पूछने को कहा. बीच-बीच में अंग्रेज़ी में बोलकर वह अपना दबदबा दिखाना चाहता था –

“यू सी आइ एम नॉट एन ऑर्डिनरी पंडित. आइ एम ए लर्नेड फेलो विद होस्ट ऑफ़ डिग्रीज़ बिहाइंड मी. सो यू कैन हैव फुल फैथ अपॉन माइ सॉल्यूशन्स... ”

“वैल, दिस इज़ माइ लवर्स फोटोग्राफ टू हूम आइ वांट टू मैरी...” मैंने अपने पर्स में रखा चित्र उसे दिखाते हुए, अंग्रेज़ी में ही उत्तर दिया ताकि उसका अंग्रेज़ी का दर्प कुछ कम हो. असर प्रत्यक्ष था.

उसने एक उड़ती-उचटती सी निगाह उस चित्र पर डाली और कहा – “नो – नो. यह संभव नहीं होगा. आपकी शादी इस महिला के साथ नहीं हो सकती. आपकी शादी तो आपके पैरेन्ट जहाँ तय करेंगे वहीं होगी, बड़ी अच्छी शादी होगी और अत्यंत सफल शादी होगी. नेक्स्ट क्वेश्चन.”

मुझे झटका सा लगा. मेरा प्यार उस वक्त परवान चढ़ने चला था और कभी कभी वह खाइयों में भी उतरता दीखता था. मुझे लगा कि उस तांत्रिक की बात में दम है, और शायद वह समाज का शाश्वत सत्य ही बयान कर रहा है – बड़ी अच्छी शादी होगी – यानी कि चार-पाँच लाख दहेज के मिलेंगे – गाड़ी, कई तोला सोना, फर्नीचर और पता नहीं क्या-क्या साथ में...

अगले प्रश्न का आदेश आ चुका था तो मैंने अपने कैरियर के बारे में पूछा. उसने अपने सामने रखी कई किताबों में से एक को उठाया और बड़े स्टाइलिश तरीके से बेतरतीबी से पन्ने पलटे. मुझे दिख गया था कि उन पन्नों को पढ़ने का कोई इरादा उसका था नहीं. वह महज़ नाटक कर रहा था. अब इस नाटक में मुझे मजा आने लगा था.

“मिस्टर, आप कुछ ही समय में राजनीति में उतरने वाले हैं. बड़े ही धमाकेदार तरीके से आप राजनीति में उतरेंगे और आप अपने क्षेत्र में अत्यंत सफल होंगे.”

मुझे दूसरा झटका लगा. इस बार का झटका सुनामी जैसा (यह नाम तब नहीं सुना था) था. मैंने उससे बहस करनी चाही कि मुझे तो राजनीति में इंटरेस्ट ही नहीं है, राजनीति से मेरे खानदान के किसी भी व्यक्ति का कोई लेना देना नहीं है और मैं किसी सूरत नेता तो बनना ही नहीं चाहता – वह भी किसी पॉलिटिकल पार्टी का!

तांत्रिक ने घोषणा की कि वह कोई ऑर्डिनरी पंडित नहीं है, वह बहस नहीं करेगा, उसने मेरा भविष्य बता दिया है, और चूंकि भविष्य में लिखा है – इसलिए इससे बचने का कोई दूसरा उपाय भी नहीं है. चलो – इस बात की सांत्वना थी कि मैं अपने क्षेत्र में अत्यंत सफल तो रहूँगा – भले ही राजनीति को मैं नीम चढ़े करेले की तरह पसंद करता होऊँ. उसने अपनी फ़ीस पुख्ता करने के लिए मुझसे अपना तीसरा प्रश्न पूछने को कहा.

तब तक मैं उस तांत्रिक के प्रभामंडल से बाहर आ चुका था. मैंने अपना तीसरा प्रश्न सीधे उस पर दाग दिया – “मैं आपकी फीस के सौ रुपए आपको दूंगा या नहीं?”

“क्या मतलब?” उसने नाराज होते हुए कहा.

“जी, हाँ, मेरा तीसरा प्रश्न यही है. मैं आपकी फीस के सौ रुपए आपको दूंगा या नहीं?”

जाहिर है, वह उत्तर दे नहीं सकता था. वह फंस चुका था. शायद उसको अहसास हो गया कि किस क़िस्म का ग्राहक आ फंसा है.

“क्या मज़ाक कर रहे हैं आप. जानते नहीं आप किससे बात कर रहे हैं – मैं आपको नष्ट करने की ताक़त रखता हूँ.” तांत्रिक अपना रौद्र रुप दिखा कर भय का वातावरण बनाने की कोशिश कर रहा था.

“आप चाहै जैसी ताक़त रखते हों, पर आप हैं पूरे नक़ली. जो चित्र आपने अभी देखा, जिससे मेरे विवाह नहीं होने की भविष्यवाणी की, वह मेरे दो बच्चों की माँ है. बोलो तो अपने बच्चों के फोटो भी दिखाऊँ?” कहते-कहते झूठमूठ मैंने अपने पर्स में फिर से हाथ डालने का अभिनय किया. मेरा चेहरा आत्मविश्वास से भरा हुआ था – ठीक उसी तरह से, जिस तरह से वह बड़े आत्मविश्वास से मेरे बारे में भविष्यवाणियाँ सुनाए जा रहा था.

तांत्रिक का चेहरा उतर गया. उसे अपने से भी भारी तांत्रिक मिल गया था जो उसे खुले आम उसके झूठ का चैलेंज अपने झूठ से कर रहा था. वह सफाई देने लगा – कोई आदमी परिपूर्ण नहीं हो सकता, ज्योतिष गणनाएँ कभी गलत हो जाती हैं, मुझसे भी गणना में गलती हो गई ... इत्यादि इत्यादि...

मैं बगैर पैसे दिए बाहर चला आया. बाद में पता चला कि उस तांत्रिक ने एक सेक्रेटरी रख लिया है और अब वह अपने ग्राहकों से पेशगी पैसा वसूलता है, तब अपने कमरे में आने देता है.

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(यह लेख करीब एक वर्ष पहले प्रकाशित हुआ था. परंतु हाल ही में अनुनाद ने मुझे खबर की कि मेरे ईमेल पते से उसे वायरस युक्त ईमेल प्राप्त हो रहे हैं. मैं चौंका. मेरे कम्प्यूटर पर एंटीवायरस समेत फ़ॉयरवाल इत्यादि की समस्त सुरक्षा सुविधाएँ हैं, जिसके फलस्वरूप ऐसी किसी वायरस की सक्रियता पर अचरज प्रतीत हुआ. मैंने अनुनाद से उस ईमेल को वापस मुझे भेजने को कहा ताकि उसके आईपी एड्रेस इत्यादि का एनॉलिसिस कर सकूं कि क्या वह सचमुच मेरे ही कम्प्यूटर से निकला है. जाँच से मुझे राहत मिली कि यह काम मेरे ईमेल पते से किसी अन्य के कम्प्यूटर से हो रहा है! हालाकि अनुनाद को वायरस युक्त ईमेल भेजने में मेरा किसी तरह का कोई हाथ नहीं है, मगर फिर भी अनुनाद से क्षमा चाहता हूँ कि उन्होंने मेरे नाम से प्राप्त ईमेल पर भरोसा किया और संभवतः अपने कंप्यूटर को वायरस से संक्रमित किया. यह आलेख इसीलिए पुनः प्रकाशित किया जा रहा है ताकि हम इंटरनेट के खतरों से भिज्ञ रहें और, किसी भी मित्र जी, हाँ, दोहरा रहा हूँ, किसी भी मित्र के पते से प्राप्त ई-मेल पर कतई कतई भरोसा न करें, यदि उसमें अवांछित संलग्नक हो. साथ ही अपने ईमेल क्लाएँट को सादा पाठ (एचटीएमएल डिसेबल्ड) भेजने व पढ़ने के लिए ही सेट कर रखें.)

हजारों लाखों की संख्या में इंटरनेट उपयोक्ता, जिनमें इन पंक्तियों के लेखक भी शामिल है, इन दिनों नेटस्काई वायरस और इसके आधे दर्जन से अधिक संस्करणों की कृपा से ऐसे संकट में फँसे हुए हैं जिसका निदान हाल फिलहाल नजर नहीं आ रहा है. हर रोज, इंटरनेट के उपयोक्ता अपने मेल बॉक्स पर दर्जनों की संख्या में ऐसे ईमेल प्राप्त करते हैं जिनके प्रेषक के बारे में न तो वे जानते हैं, न उनसे किसी प्रकार के ईमेल की उम्मीद ही होती है. यह तो ठीक है, परंतु उस बात का क्या जब आपको ऐसा ईमेल प्राप्त होता है जो यह बताता है कि आपने जो ईमेल फलाँ व्यक्ति को भेजा था, उसमें वायरस था अत: उसे आपको वापस कर दिया गया है. जबकि आपने उस पते पर कभी भी कोई ईमेल नहीं भेजा था. दरअसल, नेटस्काई जैसे क़िस्म के वायरस इस तरह से डिज़ाइन किए गए हैं कि वे आपके ईमेल पता का इस्तेमाल, अपने आप को अन्य कम्प्यूटरों में फैलाने और उन्हें प्रदूषित करने के लिए करते हैं. कई तरीकों से वे आपका ईमेल पता हासिल करते हैं और इसे अपने द्वारा स्वचालित सृजित ईमेल के प्रेषक खण्ड में रख कर तमाम ऐसे लोगों को ईमेल भेजते हैं, जिनका ईमेल पता वे हासिल कर चुके होते हैं. ऐसे ईमेल में वे अपने ही वायरस की एक प्रति विविध तरीकों से संलग्न कर भेजते हैं. इनके लिए आपका ईमेल पता हासिल करना बहुत ही आसान होता है. वे ऐसे बॉट (रोबॉट) का इस्तेमाल करते हैं जो इंटरनेट के पन्नों में से ईमेल पता ढूंढ कर उन्हें जमा करते रहते हैं. या फिर आउटलुक जैसे मेल क्लाएंट के एड्रेस बुक में उपलब्ध सारे ईमेल पते का इस्तेमाल अपने आप को फैलाने में करते हैं. कुछ वायरस ऐसे बनाए गए हैं जो कुछ ज्ञात-अज्ञात क़िस्म के डोमेन नाम का इस्तेमाल कर बेतरतीब तरीके से अनुमान के आधार पर उपयोक्ता नाम सृजित कर वायरस संक्रमित ईमेल भेजते हैं. और यदि वह ईमेल पता सही निकलता है तो वह डिलीवर हो जाता है, अन्यथा वापस लौट जाता है. ये वायरस इतने चालाकी से सृजित किए गए हैं कि इनके भीतर इनका अपना ही एसएमटीपी सर्वर बना हुआ होता है और ये अपने संक्रमित ईमेल को प्रेषित करने के लिए किसी अन्य सर्वर पर निर्भर भी नहीं होते. इन्हें सिर्फ इंटरनेट करनेक्शन चाहिए होता है. अब अगर यह प्रेषक को डिलीवर हो गया तब तो ठीक है, अन्यथा यदि पता गलत है या फ़ॉयरवॉल द्वारा स्वीकार नहीं होता है तो फिर यह आपके डाक डब्बे में वापस आ जाता है, चूँकि इसके प्रेषक फ़ील्ड में आपका ईमेल पता दिया गया होता है. अब भले ही आपने उसे नहीं भेजा है.

जब कोई अन्य व्यक्ति किसी अन्य का ईमेल पता अनाधिकृत रूप से इस्तेमाल ईमेल भेजने या प्राप्त करने के लिए करता है, तो उसे ईमेल स्पूफ़िंग कहा जाता है. स्पूफ़िंग की वज़ह से ही आपका इनबॉक्स अवांछित, वायरस संक्रमित, तमाम #@%^& प्रकारों के ईमेल से भरा रहता है.

आपका ईमेल पता तो हर कहीं है अगर आप इंटरनेट का इस्तेमाल करते रहते हैं तो आप नियमित रूप से ईमेल भेजते और प्राप्त करते होंगे. इन प्रत्येक ईमेल में आपका ईमेल पता अंकित होता है. इसी प्रकार कुछ ऐसे वेब पृष्ठ भी होंगे जिनमें आपका ईमेल पता अंकित होगा. ऐसे ईमेल पते इंटरनेट पर बहुत से स्थानों पर, सारे विश्व में, वेब पृष्ठों के साथ ही सिस्टम कैश में, अस्थाई इंटरनेट फ़ाइलों में भंडारित हो जाते हैं. पहले के वायरस आपके ईमेल क्लाएंट के एड्रेस बुक में भंडारित ईमेल पतों के द्वारा संक्रमण फैलाते थे. परंतु अब उनमें यह क्षमता आ गई है कि वे कम्प्यूटरों के हार्ड डिस्क को स्कैन कर तमाम ईमेल पतों को ढूंढ निकालते हैं और उन प्रत्येक ईमेल पते पर अपने आपको ईमेल के जरिए फैलाते हैं. इन वायरसों में उनका अपना स्वयं का नन्हा एसएमटीपी सर्वर होता है. जिसके कारण इन्हें फैलने के लिए आपके ईमेल क्लाएंट की जरूरत नहीं होती. इनके कार्य करने के लिए सिर्फ जीवित इंटरनेट करनेक्शन की आवश्यकता होती है, और आपको पता ही नहीं चलता कि आपका संक्रमित कम्प्यूटर हजारों लाखों की संख्या में वायरस फैला रहा है. परिस्थितियाँ दिनों दिन गंभीर होती जा रही हैं. पहले ही, हमें प्राप्त होने वाले 80% ईमेल स्पॉम और अवांछित होते हैं और नेटस्काई/लवगेट/सॉसर जैसे वायरस इस समस्या को और गंभीर बना रहे हैं.

आपको बेवकूफ बनाने के लिए हर संभव युक्तियाँ वायरसों एवं वार्म को इन दिनों इस चतुराई से लिखा जा रहा है कि उन्हें फैलने के लिए उपयोक्ताओं से किसी प्रकार के इंटरेक्शन की जरूरत ही नहीं पड़ती. उदाहरण के लिए, ब्लास्टर और सासर क़िस्म के वायरस इंटरनेट से जुड़े कम्प्यूटरों के आईपी पतों को बेतरतीब तरीके से स्कैन करते हैं तथा असुरक्षित कम्प्यूटरों को अपने आप ही संक्रमित कर देते हैं. उस संक्रमित कम्प्यूटर से यह सिलसिला नए सिरे से फिर चलने लगता है. यह कास्केड प्रभाव इतना भयंकर होता है कि ब्लास्टर जैसे वायरस जारी होने के 24 घंटों के भीतर ही समस्त विश्व के 50 लाख कम्प्यूटरों को अपना निशाना बना चुके होते हैं. वायरस के कुछ प्रकार एचटीएमएल पृष्ठों में डिज़ाइन किए जाते हैं, जिनमें उनका लिंक छुपाया गया होता है, और चेहरा दूसरा लगाया गया होता है. ऐसे छुपाए लिंक में उपयोक्ता किसी वजह से क्लिक करता है तो पाता है कि उसने अनजाने में ही अपने कम्प्यूटर को संक्रमित कर डाला है. उदाहरण के लिए, नेटस्काई वायरस का एक क़िस्म एचटीएमएल मेल के द्वारा फैलने के लिए डिज़ाइन किया गया है. यह एचटीएमएल पृष्ठ यूँ प्रतीत होता है जैसे कि वह एक सादा पाठ पृष्ठ हो. एक उदाहरण जो प्राय: आम है, नीचे दिए अनुसार उपयोक्ता को ईमेल द्वारा मिलता है:

If the message will not displayed automatically, follow the link to read the delivered message.

Received message is available at: www.mantrafreenet.com/inbox/raviratlami/read.php? sessionid-21509

यदि आप इसके ट्रिक में फंस जाते हैं और उस लिंक को क्लिक करते हैं तो ऊपरी तौर पर तो आपको कुछ नज़र नहीं आता, परंतु आप पाते हैं कि आपने अनजाने में ही वायरस को चला दिया है जो कि एचटीएमएल पृष्ठ में शून्य आयाम में अंतर्निर्मित किया गया है. अब वह आपके कम्प्यूटर को तो संक्रमित कर ही चुका है, आपके कम्प्यूटर से अब और भी सैकड़ों कम्प्यूटरों में संक्रमण फैलाने के लिए तैयार हो चुका है. ऐसे संदेशों का स्रोत अगर आप देखेंगे तो पाएंगे कि वहाँ पर तो पूरा का पूरा वायरस का कोड लिखा हुआ है! ऐसे किसी ईमेल का एचटीएमएल स्रोत आपको कुछ ऐसा दिखाई देगा:

<!DOCTYPE HTML PUBLIC

"-//W3C//DTD HTML 4.0 Transitional//EN">

&lt;HTML><HEA D>

&lt;ME TA

content=3D"text/html; charset=3Diso-8859-1" =

http-equiv=3DContent-Type&gt;

&lt;ME TA

content=3D"MSHTML 5.00.2920.0" name=3DGENERATOR&gt;

&lt;STYLE&gt;</ST YLE&gt;

&lt;/HEAD>

&lt;BODY

bgColor=3D#ffffff>If the message will not displayed automatically,&lt;br>

follow the link to read the

delivered message.&lt;br><br>

Received message is available

at:&lt;br>

&lt;a href=3Dcid:031401Mfdab4$3f3dL780$73387018@57W81fa70Re

height=3D0

width=3D0>www.mantrafreenet.com/inbox/rav iratlami/read.php?sessionid-21509&lt;/a>

&lt;iframe

src=3Dcid:031401Mfdab4$3f3dL780$73387018@57W81fa 70Re

height=3D0 width=3D0&gt;</iframe>

&lt;DIV> &lt;/ DIV></BODY></HTML& ;gt;

------ =_NextPart_001_001C_01C0CA80.6B015D10- -

------ =_NextPart_000_001B_01C0CA80.6B015D10

Content-Type: audio/x-wav;

name="message.scr"

Content-Transfer-Encoding:

base64

Content-ID:&lt;031401Mfdab4$3f3dL780$73387018@57W81f a70Re>

TVqQAAMAAAAEAAAA//8AALgAAA AAAAAAQAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAA AAAAAAAA

AAAAAAAAYAAAAA4fug4AtAnNIbgBTM0hV

(बाकी का भाग, जो कि वायरस का स्रोत कोड है, मिटा दिया गया है)

यहाँ पर जो पीले रंग से पाठ दर्शाया गया है, यह वह कड़ी है, जिसे आपको संदेश देखने के लिए क्लिक करने को कहा गया है. हरे रंग का पाठ कड़ी का स्रोत है जो शून्य आयाम परिभाषित कर छुपाया गया है. लाल रंग से दिखाया गया पाठ वायरस का नाम है message.scr जिसे कि बड़ी ही चतुराई से एचटीएमएल में अंतर्निर्मित कर दिया गया है. यहाँ तो फिर भी आपको कड़ी को क्लिक करने के लिए कहा गया है, जो कि इस वायरस को चलाने के लिए आवश्यक है. अन्य तरह के ऐसे ही एचटीएमएल पृष्ठों में इस वायरस फ़ाइल की परिभाषा ऑडियो/वेव फ़ाइल की बता कर इसे स्वचालित चलने हेतु पारिभाषित कर दिया जाता है, जिससे इस मेल को खोलते ही एचटीएमएल पृष्ठ लोड हो जाता है और वायरस अपने आप चल जाता है और आपके कम्प्यूटर को संक्रमित कर देता है. इसी तरह के कुछ ईमेल आपको प्राप्त होते हैं जो यह बताते हैं कि वे एन्टी वायरस कंपनी जैसे कि पाण्डा या मॅकएफ़ी सॉफ़्टवेयर से स्कैन कर भेजे गए हैं और उनमें कोई वायरस नहीं है. जबकि वे वायरस संक्रमण के लिए ही, वायरस द्वारा भेजे गए होते हैं. ऐसे संदेशों में प्राय: बेतरतीब तरीके से चुने गए विषय होते हैं जैसे कि Hi, Hello, Request, Important, Request, Re: इत्यादि.

ऐसे ईमेल से बचने-बचाने की युक्तियाँ जब तक कि संपूर्ण ईमेल तंत्र को पूरी तरह नवीकृत नहीं किया जाता, जिसमें यह आवश्यक हो कि प्रत्येक ईमेल उपयोक्ता को आवश्यक रूप से अपने भौतिक पते सहित पंजीकृत होना पड़े और प्रत्येक ईमेल के भेजने और प्राप्त करने के लिए एक टोकन फीस न रख दी जाए, ताकि कोई ईमेल पतों को स्पूफ न कर पाए व उसका दुरूपयोग न कर पाए, तब तक आपके इनबॉक्स में अधिकतर संख्या में स्पॉम, अवांछित डाक और वायरसों द्वारा भेजी गई ईमेल ही भरी रहेंगीं. याहू! तथा माइक्रोसॉफ़्ट दोनों ही अपने अपने तरीके से इस समस्या का हल निकालने में जुटे हैं. हाल ही में अमेरिका में, जहाँ इंटरनेट के अधिकतर सर्वर स्थित हैं, यह क़ानून बनाया गया है कि जिस इंटरनेट प्रदाता के कम्प्यूटर से जुड़े हुए कम्प्यूटर से वायरस का संक्रमण फैलता है, उसे अनिवार्य रूप से इंटरनेट से अलग-थलग किया जाए ताकि और संक्रमण रोका जा सके. इसकी पूरी जिम्मेदारी इंटरनेट प्रदाता की ही होगी, चूँकि प्राय: उपयोक्ता तकनीकी रूप से उतना सक्षम नहीं हो पाता है कि वह वायरसों की पहचान कर सके और उन्हें रोकने के उपाय कर सके. हालांकि, ऐसे प्रयासों के प्रतिफल मिलने में अभी कुछ समय लग सकता है. परंतु तब तक के लिए नीचे दिए गए कुछ सुरक्षा के उपायों को अपनाकर कुछ सीमित संख्या में ऐसे संक्रमणों से तो अपने कम्प्यूटर को तो बचाया ही जा सकता है, दूसरे के कम्प्यूटरों को भी संक्रमणों से बचाया जा सकता है:

• विविध प्रकार के कार्यों के लिए विभिन्न, अलग-अलग ईमेल खातों का इस्तेमाल कीजिए. उदाहरण के लिए, व्यक्तिगत उपयोग के लिए अलग, व्यवसाय-व्यापार के लिए अलग, अपने समूह के लिए अलग. वेब के पृष्ठों पर अपने व्यक्तिगत उपयोग के ईमेल पतों को न भरें. यदि संभव हो तो जीपीजी/पीजीपी एनक्रिप्शन का इस्तेमाल अपने ईमेल खाते में करें. यह ईमेल भेजने और प्राप्त करने की सबसे सुरक्षित विधि है. अवांछित ईमेल को सिरे से ख़ारिज कर दें. एक तरीक़ा यह भी है कि ईमेल को डाउनलोड करने से पहले सर्वर से सिर्फ हेडर और विषय डाउनलोड करें, फिर अनावश्यक ईमेल सर्वर से ही मिटाकर, शेष डाउनलोड कर लें. ईमेल फ़िल्टरों का प्रयोग करें, जो अवांछित मेल को आपके इनबाक्स में आने ही नहीं देंगे.

• अपने कार्य और व्यवसाय के लिए प्राप्त ईमेल में आप पहले से यह निर्धारित नहीं कर सकते हैं कि कौन सा ईमेल अवांछित है जब तक कि आप उसे पढ़ न लें. ऐसी परिस्थिति में आप अपने मेल क्लाएँट को किसी भी संलग्नक को खोलने/दिखाने में अक्षम बना दें ताकि वायरसों को भूले से भी चलाया न जा सके.

• आप अपने ईमेल क्लाएंट को कॉन्फ़िगर करें कि वह सिर्फ सादा पाठ ही पढ़े, लिखे व दिखाए. एचटीएमएल को अक्षम कर दें. इस तरीके से एचटीएमएल के जरिए फैलने वाले वायरसों में कुछ हद तक रोक लगेगी.

• यदि आपको अपना ईमेल पता इंटरनेट के पृष्ठों पर लिखना है, उन्हें प्रदर्शित करना है, तो आपको सलाह दी जाती है कि आप इसके लिए चित्र फ़ाइल का इस्तेमाल करें. या फिर उसे ravi@prabhasakshi.com के बजाए ऐसा लिखें: “RAVI AT PRABHASAKSHI DOT COM”. इससे होगा यह कि ईमेल चूसने वाले बॉट आपके ईमेल पता के बारे में अंदाजा नहीं लगा पाएँगे, परंतु जिस वास्तविक उपयोक्ता को आपसे संपर्क करना होगा उसे कोई परेशानी नहीं होगी.

• आप ईमेल एक्सट्रेक्टर प्रोग्रामों को कुछ अन्य तरीके से भी बेवकूफ़ बना सकते हैं जैसे कि अपना ईमेल पता ravi@prabhasakshi.com को ऐसा लिखें: “raviNOSPAM@prabhasakshi.com (NOSPAM को हटा दें यदि आप रोबॉट नहीं हैं और मुझे मेल भेजना चाहते हैं)” इससे आपका ईमेल पता कुछ हद तक स्वचालित ईमेल का पता लगाने वाले प्रोग्रामों की पहुँच से दूर रहेगा, और आपका इनबॉक्स भी स्पॉम और अवांछित ईमेल से खाली रहेगा.

• ईमेल प्रयोक्ताओं के उन्नत सेवाओं का प्रयोग करें. उदाहरण के लिए याहू! का उन्नत ईमेल खाता आपको स्पॉम तथा वायरस युक्त मेल से निपटने के लिए उन्नत औज़ार मुहैया कराता है.

• किसी भी हालत में, अगर आप इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं तो उचित प्रकार से कॉन्फ़िगर किए फ़ॉयरवॉल के बगैर इसे न चलाएँ. लिनक्स के प्राय: सभी नए संस्करणों में अंतर्निर्मित फ़ॉयरवाल की सुविधा है. विंडोज़ एक्स पी में भी यह सुविधा है, परंतु व्यक्तिगत उपयोग हेतु विंडोज के लिए जोन अलार्म फ़ॉयरवाल का इस्तेमाल ज्यादा प्रभावी होगा. इसके अतिरिक्त विंडोज सिस्टमों में एन्टीवायरस प्रोग्राम भी आवश्यक रूप से स्थापित करें और उसे नित्यप्रति अद्यतन करते रहें. अधिकतर वायरस विंडोज सिस्टमों पर ही हमला करने के लिए बनाए गए हैं. एन्टीवीर, एवीजी जैसे एन्टीवायरस तथा जोन अलार्म फ़ॉयरवाल निजी और व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए मुफ़्त उपलब्ध हैं और ये आपके कम्प्यूटर की वायरसों से रक्षा करने में आमतौर पर पूरी तरह सक्षम हैं.

स्क्रीनशॉट विवरण: Email01 देखें कि इनबॉक्स किस तरह से वायरस युक्त ईमेल से भरा पड़ा है! सैकड़ों की संख्या में वायरस युक्त ईमेल एक ही ईमेल खाते पर मिले हैं, तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि ऐसे ईमेल कितने तादाद में भेजे जाते हैं. यह भी देखें कि इनका विषय खण्ड कितना असली और निष्कपट प्रतीत होता है ताकि उपयोक्ता को आसानी से बेवकूफ बनाया जा सके.

Email02 वायरस संलग्नक प्राय: .zip, .pif, .scr फ़ाइल एक्सटेंशन के साथ आते हैं, परंतु इन्हें डबल या अन्य एक्सटेंशन देकर उपयोक्ता को झांसा दिया जाता है.

Email03 मेल जिसमें यह बताया गया है कि एन्टी वायरस फर्म से जाँच कर यह मेल भेजा गया है और इसमें वायरस नहीं है, जबकि यह वायरस को फैलाने का ही कार्य कर रहा है.

Email04 वायरस लिखने वाले हर तरह से उपयोक्ताओं को बेवकूफ बनाने की कोशिश करते हैं. यदि आपने उनके निवेदन को स्वीकार लिया तो फिर बस, फंस गए जाल में.

Email05 कुछ वेब मेल प्रदाता जैसे कि इंडियाटाइम्स मेल अपने हर मेल को स्कैन करते हैं, ओर संभावित वायरस वाले संलग्नकों को रोक देते हैं. इससे कुछ हद तक वायरसों के और फैलने में मदद मिलती है.

Email06 मेल क्लाएंट के उन्नत विकल्पों का इस्तेमाल करें ताकि संलग्नकों तथा एचटीएमएल को स्वचालित रूप से लोड करने से, और अंतत: वायरसों को फैलने से रोका जा सके.

Email07 एचटीएमएल में मेल जिसमें वायरस फ़ाइल message.scr को एचटीएमएल में अंतर्निर्मित कर दिया गया है और छुपा दिया गया है. जब इस संदेश को एचटीएमएल में देखा जाता है तो यह वायरस स्वचालित चलने लग जाता है.

Email08 एचटीएमएल मेल का स्रोत कोड जिसमें वायरस है. इसमें गलत वेब पते को दिया गया है, ताकि इसके बारे में जानकारी, कि कहाँ से यह फैल रहा था, उसका अंदाजा नहीं लगाया जा सके.

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ठीक है, पूरी तरह से नहीं तो, जरा आधे-अधूरे और उल्टे तरफ से ही सही...

पद्मा प्लगइन में शुषा फ़ॉन्ट को जोड़ने की कवायदें चल रही हैं. अभी भी थोड़े से बग्स हैं, परंतु काम लायक तो है ही....

यह प्लगइन (बीटा) ईमेल के साथ संलग्न है. चिट्ठाकार समूह पर जाल पृष्ठ में जाकर इसे डाउनलोड किया जा सकता है.

इस्तेमाल करने के लिए, फ़ॉयरफ़ॉक्स में फ़ाइल > ओपन >padma.xpi अब यह आपको इस प्लगइन को संस्थापित करने को पूछेगा. हाँ करें और फ़ॉयरफ़ॉक्स फिर से प्रारंभ करें.

अब फ़ॉयरफ़ॉक्स में टूल्स > एक्सटेंशन पर जाएँ, पद्मा दिखाई देगा. उसे चुनें, ऑप्शन्स में क्लिक करें, पद्मा प्रेफरेंस नाम का चाइल्ड विंडो खुलेगा, उसमें अपडेट बटन पर क्लिक करें, आपको ऑटोट्रांसफ़ॉर्म सूची दिखाई देगी. उसमें अभिव्यक्ति का यूआरएल डालें, बस काम हो गया. (मुख्य संस्करण में, जो कि शीघ्र ही जारी किया जा रहा है, इस सेटिंग को अलग से करने की आवश्यकता नहीं होगी) सेटिंग चरणों के लिए चित्र देखें.

अभिव्यक्ति.ऑर्ग में जाएँ, यूनिकोड में साइट का आनन्द लें.

हाँ, आप यूनिकोड में काटने-चिपकाने वाला काम भी कर सकते हैं - यानी पृष्ठों को सीधे कॉपी कर अपने पास यूनिकोड हिन्दी में रख सकते हैं - अलग से फ़ॉन्ट परिवर्तक की भी आवश्यकता नहीं!

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क्या आप लाभ के किसी पद पर हैं. यह बात आप स्वयं तो शर्तिया नहीं ही कहेंगे, अगर आप किसी अच्छे खासे लाभ के पद पर हैं. आपके विषय में ऐसा कौन कह सकता है कि आप लाभ के पद पर हैं? जाहिर है, ये तो आपके धुर विरोधी चिल्ला चिल्ला कर कहते होंगे कि आप लाभ के पद पर हैं. अगर आप लाभ के पद पर हैं, और क़ानून भी ऐसा मानता है, तो भी कोई बात नहीं. ऐसे कानूनों की ऐसी-तैसी – आप स्वयं सक्षम हैं अपने लिए नया क़ानून बनाने-बनवाने के लिए, जो पुरानी तिथि से प्रभावशाली माना जाएगा – और जो यह सुनिश्चित करेगा कि आप कोई भी, किसी भी लाभ के पद पर नहीं हैं – भले ही उस पद पर आपको अच्छा खासा मानदेय, घर-ऑफ़िस-कार-फोन, व्यक्तिगत सेवकों-सचिवों की सुविधाएँ हासिल होती हों.

दरअसल, अपने यहाँ लाभ के पद पर तो चपरासी होता है. वो सुबह से लेकर शाम तक काम करता है – सुबह साहब के घर जाकर वहां का काम करता है – दिन में ऑफ़िस का तामझाम देखता है – बाबू की फ़ाइलें सरकाता है – आगंतुकों को चाय पिलाता है – साहब की घंटी सुनता है - शाम को फिर अपने अफ़सर के घर खिदमत करता है, और अंत में थकहार कर रात को नौ दस बजे घर पहुँचता है. बदले में उसे माह के अंत में तनख्वाह मिलती है. सरकारी डेफ़िनिशन के हिसाब से यह उसे लाभ मिलता है. और इस तरह से वह लाभ के पद पर होता है.

इसके उलट, किसी सरकारी संगठन या किसी सरकारी उपक्रम का अध्यक्ष किसी लाभ के पद पर नहीं होता. वह तो सेवा के लिए होता है. देश की सेवा, जनता की सेवा के लिए होता है. यूँ तो उसे कुछ मानदेय मिलता है, क़ानूनन, परंतु यह भी कोई लाभ होता है भला? उसे यह मानदेय न भी मिले तो भी वह अपनी उस कुर्सी से बड़ा प्रेम रखेगा और वहां बैठे रहने के तमाम जद्दोजहद करता फिरेगा. मानदेय के रुप में मिलने वाले प्रतिमाह मात्र कुछ हजार रुपए भी भला लाभ कहलाता है? अगर यह लाखों करोड़ों रुपयों में होता तब मानते कि लाभ का पद है!

बड़े लाभ का बड़ा पद तो बड़े साहब के वरिष्ठ चपरासी का होता है जिसे बड़े साहब के घर पर काम करना नहीं होता, और, बड़े साहब से मिलने-मिलाने के बतौर बख्शीश के रुप में उसे नित्य कुछ रुपए लाभ के बतौर मिल जाते हैं. बड़ा लाभ का पद तो उन अफ़सरों का होता है जिन पर वे अपनी निगाह लगाकर पोस्टिंग कराते हैं – हजारों-लाखों रुपए की, और कुछ मामलों में करोड़ों रुपयों की सौगातें देकर. जैसे कि किसी खास पोर्ट पर एक्साइज इंस्पेक्टर की पोस्ट या किसी डांसबार क्षेत्र में पुलिस इंस्पेक्टर की पोस्ट या किसी औद्योगिक इलाके में लेबर इंसपेक्टर की पोस्ट या.... अरे! इन उदाहरणों से तो यह व्यंग्य कॉलम ही पूरा भर जाएगा – और ऐसे उदाहरण क्या आपको नहीं पता?.

अब, जरा आप देखिए कि आपका पद भी लाभ का है या नहीं. अगर आपका पद लाभ का है तब तो आप इस धरती के सबसे निकृष्ट किस़्म के प्राणी हैं. आपको लाभ के पद पर रहने में शर्म आनी चाहिए. या तो आप अपना लाभ का पद छोड़ दें या उसे लाभ के पद के सरकारी डेफ़िनिशन से अलग हटाने की कोई जुगत लगाएँ. या फिर तत्काल किसी बड़े लाभ के बड़े पद पर जाने की जुगत लगाएँ. अर्थ यही कि या तो आप लाभ के पद पर न रहें, और रहना ही चाहते हैं तो बड़े लाभ के पद पर रहें – सिर्फ लाभ के पद पर नहीं! आपका पद लाभ का न रहे, यही मेरी शुभकामनाएँ.

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व्यंज़ल **-**

मेरा तुझसे रिश्ता है लाभ की खातिर मुसकराया हूँ अगरचे लाभ की खातिर जाइएगा नहीं उनके इन आँसुओं पर रोए भी हैं कभी तो लाभ की खातिर वो एक वक़्त था, ये एक वक़्त है अबकी तो दुनिया है लाभ की खातिर क्या ऐसा नहीं लगता कि ख़ुदा ने बंदों को बनाया है लाभ की खातिर उठा लिए हैं आयुध रवि ने भी अब जाहिर है अपने ही लाभ की खातिर

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जीतू से पूछा जा रहा है कि उसके चेहरे का रंग असली है या नक़ली?

पर, इस जमाने में, क्या कोई, खुदा की क़सम लेकर भी, बता सकता है कि किसी के चेहरे का रंग असली है या नक़ली है?

शायद अब खुदा को भी न पता हो कि उसके बंदे के चेहरे का असली रंग क्या है.

मुझे तो मेरे खुद के चेहरे का रंग पता नहीं है.

मैं जब चाहता हूँ कि यह प्रेम-प्यार के रंग में रंगे, तो पाता हूँ कि अरे! यह तो नफ़रत, ईर्ष्या और द्वेष के रंग में रंगने लगा है...

क्या आप खुद बता सकते हैं अपने चेहरे का रंग?

पूरे विश्वास से? **-**

व्यंज़ल -----.

देखते हैं दूसरों के चेहरे पर रंग देखा है कभी अपने चेहरे पर रंग

आखिरकार उसने भी पोत लिए हैं अपने बेकसूर से चेहरे पर रंग

यूँ तो लोग मुसकराते फिरते हैं क्या असल हैं भी चेहरे पर रंग

इस दौर में हर वो दावा है झूठा चढ़ाने का, सियाह चेहरे पर रंग

कब से सोचे बैठा हूँ चढ़ा लूँ रवि तेरे चेहरे का अपने चेहरे पर रंग

**-**

8888888

(यह पोस्ट विजय को समर्पित, उनके अपने जन्मदिन, 29 मार्च पर तोहफ़े के बतौर, उनके अनुवाद-आग्रह के लिए)

• जो आपसे जितना ही दूर होता है वो उतना ही प्यारा होता है.

• दिमाग़ x सुंदरता x उपलब्धता = स्थिरांक. और, यह स्थिरांक हर स्थिति में शून्य होता है.

• किसी का आपके प्रति प्यार और आपका उसके प्रति प्यार का अनुपात अकसर उलटा होता है.

• पैसे से कोई प्यार नहीं खरीदा जा सकता, परंतु वह आपको शानदार समझौते की स्थिति में तो ला ही देता है. • संसार की समस्त अच्छी वस्तुएँ मुफ़्त उपलब्ध हैं --- और वे आपको आपके पैसे का पूरा मूल्य चुकाती हैं.

• प्रत्येक भद्र क़िस्म की क्रिया की प्रतिक्रिया भद्र ही हो यह जरूरी नहीं.

• प्यार का अंत पहले होता है.

• उपलब्धता समय का एक कारक है. जिस पल आपकी रुचि किसी में उत्पन्न होती है, उसी पल वो किसी और को ढूंढ चुके होते हैं.

• कोई प्रिय जितना ज्यादा ख़ूबसूरत होगा, उसे उतनी ही आसानी से बिना किसी कठोर अनुभव के त्यागा जा सकता है. • उम्र के साथ कोई चीज बेहतर नहीं होती – प्यार तो बिलकुल नहीं. • चाहे कोई कितनी दफा ही प्यार में पड़ चुका हो, इसका प्रस्ताव नहीं नकारता क्योंकि प्यार कभी एक जैसा नहीं होता.

• प्यार में कोई कैलोरियाँ नहीं होतीं.

• प्यार सबसे कम समय खाता है और सबसे ज्यादा समस्याएँ पैदा करता है. • प्यार नाम की बीमारी का कोई इलाज नहीं है सिवाय ज्यादा प्यार के.

• प्यार 50% वह है जैसा आप सोचते हैं, और 50% वह है जो अन्य सोचते हैं.

• एक ही ऑफ़िस में दो लोगों से प्यार? कभी नहीं.

• प्यार... बर्फ में चलने की तरह है... आपको पता नहीं होता कि आप कितने गहरे जा सकते हैं और कितनी देर तक चलना होगा.

• घर में एक अदद प्रिय बाजार के दो अदद प्रिय से ज्यादा अच्छा है

• यदि आप अपने प्रिय को चुटैया पकड़ कर रखेंगे तो उनके दिल व दिमाग भी आपके कब्जे में रहेंगे.

• जब लोग अपने प्रिय को समझने लग जाते हैं तो फिर उनका परस्पर संवाद बन्द हो जाता है.

• अपने से ज्यादा पागल से तो कभी प्यार न करें.

• किसी नारी (पुरुष) के जो गुण किसी पुरुष (नारी) को अत्यंत आकर्षक लगते हैं, कुछ वर्षों पश्चात् ऐसे गुणों में कोई आकर्षण नहीं रह जाता है.

• प्यार एक धोखा है यदि इसे सही किया जाए.

• प्यार में पड़ने का समय हमेशा बुरा ही होता है.

• अपने प्रिय को थामे रखने का सबसे बढ़िया तरीका उसका पहुँचा पकड़े रहना ही है

• अंधेरे में सभी नारियाँ एक समान होती हैं – और उजाले में पुरुष.

• प्यार अंधा होता है- परंतु दिव्य दृष्टि के साथ.

• सेब का वृक्ष या उसका फल नहीं, बल्कि बग़ीचे में मौजूद नर-नारी के जोड़े ने समस्याएँ पैदा कीं.

• अपने खूबसूरत प्रिय को ढूंढ लेने से पहले आपको कई मेंढकों को चूमना होगा.

• प्यार से अच्छी भी कोई चीज हो सकती है, और उससे बुरी भी—परंतु उस जैसी चीज कोई हो ही नहीं सकती. • पड़ोसियों से भले ही प्यार करें, परंतु पकड़ में आने से बचें.

• प्यार, बटुए में छेद का दूसरा नाम है.

• प्यार बुद्धि के ऊपर कल्पना की जीत है. • प्यार में पड़ कर नष्ट हो जाना उत्तम है बजाय इसके कि कभी प्यार ही न किया जाए. • आदमी किसी औरत के साथ हमेशा खुश रह सकता है जब तक कि वह उससे प्यार नहीं करता.

• प्यार फ़व्वारे की तरह होता है. • पुनर्जन्म के नौ कारणों में से एक कारण प्यार होता है... बाकी आठ तो ग़ैर जरूरी हैं. • इसे आप न करें यदि आप इसे जारी नहीं रख सकते.

• प्यार में पड़ने के बाद बुद्धिमान तथा मूर्ख में कोई अंतर नहीं रह जाता. • प्यार वह भ्रम है जो एक नारी (पुरुष) को दूसरी नारी (पुरुष) से भिन्न बनाता है.

• जब आप किसी संगी से पहले ही प्यार में पड़े हुए होते हैं तो संगी पाना हमेशा ही अत्यंत आसान होता है. • आपको सबसे बढ़िया प्यार सबसे खराब व्यक्ति से मिलता है. • आपका प्यार आपसे कहता है कि वो आपको हमेशा प्यार करेगा. एक सच्चा प्यार सभी से कहता है कि वो आपको हमेशा प्यार करेगा – लज्जा गुणक के बावजूद.

• प्यार में पड़ने से पहले अपना बैकअप बना लें, यह रिकवरी में हमेशा काम आता है • प्यार में समस्त उत्तर है. परंतु फिर वासना कुछ प्रश्न लेकर आता है. • कखग नियम: यदि क, ख के प्रति आकर्षित है, और आप ग के प्रति आकर्षित हैं, तो क के पास ख के लिए बेहतर संभावनाएँ हैं जैसी कि आपकी ग के लिए होनी चाहिएँ... और अकसर ख और ग एक ही व्यक्ति होता है.

• अपने पिछवाड़े अंगने में कभी प्यार न करें. प्यार अंधा होता है, परंतु पड़ोसी नहीं. • प्यार अंधा होता है, शादी आँखें खोलता है. • प्यार में पड़ने के दौरान सही काम करना हमेशा तकलीफदेह होता है. • जितना ज्यादा आप किसी नारी (पुरुष) को चाहेंगे, उतना ही कम वो आपको चाहेगी (गा).

• यदि आप किसी ख़ूबसूरत कन्या से शादी करते हैं तो वह अपनी अम्मी की प्रतिरूप बन जाती है. और यदि आप किसी साधारण सी कन्या से शादी करते हैं तो वह अपने डैडी की प्रतिरूप बन जाती है.

• पुरुष की मां या नारी के पिता को अगर आप इज़्ज़त देते हैं तो वे हर हाल में आपसे नफ़रत करेंगे. • अच्छी नारी या अच्छा पुरुष पार्किंग की जगह के अनुरूप होते हैं – सारे अच्छे तो पहले से ही एंगेज रहते हैं. • कोई भी अच्छा दिखने वाला व्यक्ति ऐसे विपरीत सेक्स वाले व्यक्ति के साथ पाया जाता है जो किसी सूरत पात्र नहीं होता. • प्यार कोई उत्तर नहीं है. यह तो प्रश्न है- जिसका उत्तर हाँ है. • प्यार व्यक्तियों को मूर्खता भरे कार्य करवाता है. • यदि आप किसी से प्यार करते हैं तो उन्हें जाने दीजिए. यदि वे आपके पास वापस नहीं आते हैं तो वे आपके लायक नहीं हैं. • यदि आप समझते हैं कि कोई नारी सुंदर है तो उसका पुरुष मित्र इस बात की ताकीद करने के लिए हमेशा वहां होगा. • स्त्री = समय + धन समय = धन स्त्री = धन^2 धन = √बुराई (धन सभी बुराई की जड़ है) स्त्री = बुराई • दो व्यक्तियों के प्यार में पड़ने पर किसी को दोष नहीं दिया जा सकता सिवाय उन दोनों के. • प्यार और जुकाम में अंतर सिर्फ इतना है कि जुकाम के लिए वैक्सीन अब उपलब्ध है • संसार की सबसे ख़ूबसूरत स्त्री संसार के सबसे बदसूरत पुरुष से शादी करती है. और, प्रायः इसके उलट भी सही होता है – यानी संसार का सबसे आकर्षक पुरुष संसार की सबसे बदसूरत स्त्री से शादी करता है. • यदि आप उससे प्यार करते हैं, वो आपसे प्यार नहीं करता(ती) है. • यदि आप प्यार में हैं, वो नहीं है • यदि आप प्यार चाहते हैं, तो वो आपको नहीं मिलता. • यदि कोई खूबसूरत आकर्षक स्त्री/पुरुष आपको प्यार करता है – तो वह झूठा होता है. • यदि आप दोनों बड़े प्रसन्न हैं, तो शादी होने तक का इंतजार कीजिए. • प्यार आपका सबसे बेहतर दोस्त हो सकता है तो वो सबसे बड़ा दुश्मन भी है. • प्यार में सभी विश्वास रखते हैं – परंतु क्या वह कहीं मौजूद भी है?

COMMENTS

BLOGGER: 1
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छींटे और बौछारें: मार्च 2006 में छींटें और बौछारें में प्रकाशित रचनाएँ....
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