कंकरीट के जंगल और पॉलिथीन के घोंसले *-*-* पिछले दिनों हमारे घर के सामने हमारे छोटे से बग़ीचे में, सीढ़ियों के नीचे से जाती हुई बेल की शाखा...
कंकरीट के जंगल और पॉलिथीन के घोंसले
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पिछले दिनों हमारे घर के सामने हमारे छोटे से बग़ीचे में, सीढ़ियों के नीचे से जाती हुई बेल की शाखाओं पर सुंदर, नन्हे चिड़िया के एक जोड़े ने अपना घोंसला बनाया. चिड़ी और चिड़ा दिन रात मेहनत करते, तिनका-तिनका जोड़ते और देखते ही देखते उनका घोंसला बन कर तैयार हो गया. पर यह क्या? जब घोंसला बनकर तैयार हुआ तो पता चला कि उसमें घासफूस, पत्ते और प्राकृतिक तिनके तो कम, पॉलिथीन के रेशे, काग़ज और पॉलिथीन थैलों के टुकड़े और न जाने क्या-क्या सिंथेटिक वस्तुएँ थीं. जिस घोंसले को अपने प्राकृतिक रूप में सुंदर, प्यारा और निर्मल दिखाई देना चाहिए था, वह इन पॉलीथीन और काग़ज़ के टुकड़ों के कारण बदसूरत और घिनौना हो गया था.
मनुष्य के ग़लत कार्यों का खामियाजा बेचारे नन्हे पशु पक्षी भुगत रहे हैं. उन्हें पेड़ पौधों के जंगल नसीब नहीं हो रहे हैं लिहाज़ा वे कंकरीट के जंगल में शौकिया तौर पर उगाए गए किसी पौधे की किसी शाखा के एक टुकड़े में पॉलीथीन का घोंसला बनाने को अभिशप्त हैं.
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पिछले दिनों हमारे घर के सामने हमारे छोटे से बग़ीचे में, सीढ़ियों के नीचे से जाती हुई बेल की शाखाओं पर सुंदर, नन्हे चिड़िया के एक जोड़े ने अपना घोंसला बनाया. चिड़ी और चिड़ा दिन रात मेहनत करते, तिनका-तिनका जोड़ते और देखते ही देखते उनका घोंसला बन कर तैयार हो गया. पर यह क्या? जब घोंसला बनकर तैयार हुआ तो पता चला कि उसमें घासफूस, पत्ते और प्राकृतिक तिनके तो कम, पॉलिथीन के रेशे, काग़ज और पॉलिथीन थैलों के टुकड़े और न जाने क्या-क्या सिंथेटिक वस्तुएँ थीं. जिस घोंसले को अपने प्राकृतिक रूप में सुंदर, प्यारा और निर्मल दिखाई देना चाहिए था, वह इन पॉलीथीन और काग़ज़ के टुकड़ों के कारण बदसूरत और घिनौना हो गया था.
मनुष्य के ग़लत कार्यों का खामियाजा बेचारे नन्हे पशु पक्षी भुगत रहे हैं. उन्हें पेड़ पौधों के जंगल नसीब नहीं हो रहे हैं लिहाज़ा वे कंकरीट के जंगल में शौकिया तौर पर उगाए गए किसी पौधे की किसी शाखा के एक टुकड़े में पॉलीथीन का घोंसला बनाने को अभिशप्त हैं.
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महान भावना को व्यक्त करने के लिये बहुत सटीक शीर्षक चुना है |
जवाब देंहटाएंअनुनाद