आम आदमी को पद्म विभूषण इस दफ़ा 26 जनवरी 2005 को पद्म पुरस्कारों में आम आदमी भी पुरस्कृत हुआ है. आर. के. लक्ष्मण को पद्म विभूषण का पुरस्क...
आम आदमी को पद्म विभूषण
इस दफ़ा 26 जनवरी 2005 को पद्म पुरस्कारों में आम आदमी भी पुरस्कृत हुआ है. आर. के. लक्ष्मण को पद्म विभूषण का पुरस्कार प्रदान किया गया है. इसके लिए उन्हें ढेरों बधाईयाँ. आम आदमी की पीड़ा को अपनी कूँची से गढ़कर, अपने पैने व्यंग्य चित्रों से तो वे पिछले अर्द्ध शती से लोगों को बताते आ ही रहे हैं, समाज की विकृतियों, राजनीतिक विदूषकों और उनकी विचारधारा की विषमताओं पर भी वे तीख़े ब्रश चलाते हैं. वे धरती के सर्वकालिक महान कार्टूनकार हैं, जो समाज को आईना दिखाते आ रहे हैं. इस अवसर पर यह ग़ज़ल उन्हें समर्पित है:
*-**-*
ग़ज़ल
//**//
मुद्दतों से वो आईना दिखाते रहे
हम खुद से खुद को छुपाते रहे
दूसरों की रोशनियाँ देख देख के
आशियाना अपना ही जलाते रहे
कहाँ तो चल दिया सारा जमाना
हम खिचड़ी अपनी बैठे पकाते रहे
यूँ दर्द तो है दिल में बहुत मगर
दुनिया को गुदगुदाते हँसाते रहे
कभी तो उठेगी हूक दिल में रवि
यही सोच कर ग़ज़लें सुनाते रहे
--**--
इस दफ़ा 26 जनवरी 2005 को पद्म पुरस्कारों में आम आदमी भी पुरस्कृत हुआ है. आर. के. लक्ष्मण को पद्म विभूषण का पुरस्कार प्रदान किया गया है. इसके लिए उन्हें ढेरों बधाईयाँ. आम आदमी की पीड़ा को अपनी कूँची से गढ़कर, अपने पैने व्यंग्य चित्रों से तो वे पिछले अर्द्ध शती से लोगों को बताते आ ही रहे हैं, समाज की विकृतियों, राजनीतिक विदूषकों और उनकी विचारधारा की विषमताओं पर भी वे तीख़े ब्रश चलाते हैं. वे धरती के सर्वकालिक महान कार्टूनकार हैं, जो समाज को आईना दिखाते आ रहे हैं. इस अवसर पर यह ग़ज़ल उन्हें समर्पित है:
*-**-*
ग़ज़ल
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मुद्दतों से वो आईना दिखाते रहे
हम खुद से खुद को छुपाते रहे
दूसरों की रोशनियाँ देख देख के
आशियाना अपना ही जलाते रहे
कहाँ तो चल दिया सारा जमाना
हम खिचड़ी अपनी बैठे पकाते रहे
यूँ दर्द तो है दिल में बहुत मगर
दुनिया को गुदगुदाते हँसाते रहे
कभी तो उठेगी हूक दिल में रवि
यही सोच कर ग़ज़लें सुनाते रहे
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मतलब किसी भी बहाने एक व्यंजल पढ़वा दे रहे हैं…
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